MUSKURA KE TO JAAIYE

शनिवार, 13 अगस्त 2011

भैया का गहना है बहना !! -(रक्षा -बंधन और मिठाई)



बहना मेरी दूर पड़ा मै
दिल के  तू  है पास 
अभी बोल देगी तू "भैया"
सदा लगी है आस 
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मुन्नी -गुडिया प्यारी मेरी 
तू है मेरा खिलौना 
मै मुन्ना-पप्पू-बबलू हूँ 
बिन तेरे मेरा क्या होना !
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तू ही मेरी सखी सहेली 
कितना खेल खिलाया 
कभी -कभी मेरी नाक पकड़ के 
तूने  बहुत चिढाया !
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थाली में तू अपना हिस्सा 
चोरी से था डाल खिलाया 
जान से प्यारी मेरी बहना 
भैया का गहना है बहना !!
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जब एकाकी मै होता हूँ 
सजी थाल तेरी वो दिखती 
चन्दन जभी लगाती थी तू 
पूजा- मेरी आरती- करती !
रक्षा -बंधन और मिठाई 
दस-दस पकवान पकाती थी 
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बाँध दिया बंधन से तूने   
ये अटूट रक्षा जो करता 
मेरी बहना सदा निडर हो 
ख़ुशी रहे दिल हर पल कहता 
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जहाँ रहे तू जिस बगिया में 
हरी-भरी हो फूल खिले हों 
ऐसे ही ये प्यारा बंधन 
सब मन में हो -गले लगे हों 
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तू गंगा गोदावरी सीता 
तू पवित्र मेरी पावन गीता 
तेरी राखी आई पाया 
चूम इसे मै गले लगाया 
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कितने दृश्य उभर आये रे 
आँख बंद कर हूँ मै बैठा 
जैसे तू है  बांधे राखी 
मन -सपने-उड़ता मै "पाखी"
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तेरी रक्षा का प्रण बहना  
रग-रग  में राखी दौडाई 
और नहीं लिख पाऊँ बहना 
आँख छलक मेरी भर आई 
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
१३.०८.११  ८.४५ पूर्वाह्न 
जल पी बी 



दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

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